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रचना घर





रचना घर      (चौपाई)


रचना घर की खैर मनाओ।

रचना में ही रच -बस जाओ।।

जो रचना में रत रहता है।

रचनाकार वही बनता है।।


रचना से ही नेह लगाओ।

रचना को ही गेह बनाओ।।

प्रेम करोगे यदि रचना से।

बन जाओगे प्रिय वचना से।।


रचना को उर में बैठाओ।

उर को रचना गेह बनाओ।।

बैठ गुफा में लिखना-पढ़ना।

रचना लिख कर गाते रहना।।


रचना को मत कभी छोड़ना।

अंकों में भर ले कर चलना।।

रचना को ही प्रति पल चूमो।

नित नव रचना ले कर घूमो।।


रचना का संसार खड़ा कर।

साहित्यिक अनुराग बड़ा कर।।

हिंदी में ही रचना करना।

प्रिय रचना से सब कुछ कहना।।


प्रिय रचना से नाता जोड़ो।

लौकिकता से नित मुँह मोड़ो।।

रचना को ही समझ प्रेमिका।

रचना राधा प्रिया नायिका।।


रचना को ही गीता जानो।

रचना के दिल को पहचानो।।

रचनाओं में सरस गीत हो।

सीता जैसी दिव्य प्रीति हो।।




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1 Comments

Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:45 AM

शानदार

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